चौधरी खरताराम जाखड़: साहस और सेवा की एक मिसाल
चौधरी खरताराम जाखड़, राजस्थान के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में एक विशाल व्यक्तित्व आज भी साहस, नेतृत्व और जनकल्याण के प्रति समर्पण के प्रतीक बने हुए हैं।
1925 में जैसलमेर जिले के पोकरण तहसील के भणियाणा गांव में जन्मे खरताराम जाखड़ का जीवन एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी के रूप में प्रेरणा का स्रोत रहा। 21 जुलाई 2017 को उनका निधन एक युग के अंत का प्रतीक था, लेकिन उनकी उपलब्धियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
खरताराम जाखड़ का प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा था। उन्होंने ग्रामीण राजस्थान की कठिनाइयों का सामना किया, जिसमें प्राकृतिक आपदाएं, सामाजिक अन्याय और आर्थिक तंगी शामिल थीं। उस समय यह क्षेत्र डकैती की समस्या से भी जूझ रहा था, जिसका खरताराम ने बाद में अदम्य साहस के साथ मुकाबला किया।
1939 में उनकी जिंदगी ने तब एक नया मोड़ लिया, जब उनकी मुलाकात प्रसिद्ध किसान नेता बलदेव राम मिर्धा से हुई। मिर्धा के विचारों से प्रेरित होकर, खरताराम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर सामाजिक सुधारों में सक्रिय भूमिका निभाई।