जीण माता की कथा , जानिए जीण माता के मंदिर के बारे में Jeen mata ki Katha
जीण माता का मंदिर सीकर जिले के रेवासा क्षेत्र के रलावता गांव की पहाड़ी पर बना हुआ है , जीण माता का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के एक छोटे से घांघू नामक गांव में हुआ था ।
एवं जीण माता के बचपन का नाम जीवन भाई था एवं जीण माता के पिता का नाम धनराज था । कहते हैं कि जब जीण माता छोटी थी तब जीण माता के मां व पिता को किसी ने मार दिया। एवं इसके बाद जीण माता व जीण माता के भाई हर्ष दोनों बड़े हो गए । लेकिन एकाएक जब जीण माता का उसके भाभी आभलदे में पानी की मटकी उतारने को लेकर शर्त लगाई जाती है कि हर्ष पहले किस की मटकी उतारता है ?
हर्ष जब जीण माता की भाभी की मटकी पहले उतार देता है तो अपने भाई से नाराज होकर तपस्या करने के लिए पहाड़ों में चली जाती हैं एवं हर्ष भी जीण के पीछे पीछे पहाड़ी पर चला जाता है इस पहाड़ी को आज भी हर्षनाथ पहाड़ी के नाम से जाना जाता है।
जीण माता पर 2003 में जय जीण माता के नाम से फिल्म भी बनी थी , जीण माता सीकर के चौहानों और मीणाओं की कुलदेवी है।
जीण माता को मधुमक्खियों की देवी कहा जाता है ।
जीण माता की मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के समय मोहिल ने विक्रम संवत 1121 में करवाया था , कहा जाता है कि औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए सब सेना को भेजी तो मधुमक्खियों ने यहां पर आक्रमण कर लिया एवं इसके बाद सेना इस मंदिर को नहीं तोड़ पाई थी।
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एवं इसके बाद जीण माता के मंदिर में हमेशा दो दीपक जलते रहे जिनमें से एक दीपक घी का होता है एवं यह दीपक तेल का होता हैं। एवं इसके बाद से मुगल शासकों ने प्रतिवर्ष सवामणी यानी कि 50 किलो तेल इस मंदिर में भेजना शुरू कर दिया , इस मंदिर में आज भी भारत सरकार तेल भेजती है । वही औरंगजेब ने इस मंदिर में सोने का छत्र चढ़ाया था।
जीण माता के मंदिर के पास जोगी नाम का एक जलकुंड बना हुआ है यहां पर पांडवों की आदमगढ़ की पत्थर की मूर्तियां है एवं कहा जाता है एक पांडव यहां पर आए थे।