कड़वासरा जाति का इतिहास | कड़वासरा जाटों का इतिहास | Karawasra History
कड़वासरा जाति का इतिहास
जाट जाति के अंतर्गत कड़वासरा जाति के बारे में आज हम बात करने वाले हैं कड़वासरा नाम के पीछे एक प्रमुख शासक का नाम माना जाता है जिसका नाम कदवाराव था , माना जाता है कि इसी शासक के नाम पर कड़वासरा गोत्र की शुरुआत हुई। कड़वासरा जाति के लोग मध्य प्रदेश पंजाब एवं हरियाणा में निवास करते हैं। और इतिहासकार कड़वासरा जाति के लोगों को मुलत: दहिया कबीले के मानते हैं ।
बताया जाता है कि राजस्थान के जोधपुर जिले के मंगलाना गांव में एक इसी प्रकार का शिलालेख मिला है जो 1215 ईसवी का बताया जा रहा है इस शिलालेख में कड़वा राव के शासन के बारे में जानकारी मिलती है। इसका उल्लेख इंडियन इन द कावेरी पुस्तक में पेज संख्या 87 व 88 पर किया गया है।
दहिया वंश के कुछ मुख्य शासन निम्न है
- दधीचि
- विमल राज
- शिवा
- अजयवह
- नरवार
- कदवाराव
- कीर्ति सिंह
- बेरी सिंह
- राणा सिंह ( इसी शासक ने अपने दादा के कदवाराव की याद में शिलालेख उत्क्रण करवाया था। कड़वासरा वंश की मुख्य जानकारी मिलती है )
राजस्थान में कड़वासरा जाति के लोग सीकर , चुरू , नागौर , झुंझुनू , बाड़मेर , जोधपुर , सीकर हनुमानगढ़ , श्री गंगानगर , जयपुर और बीकानेर में रहते हैं। एवं मध्य प्रदेश के रतलाम एवं इंदौर , पंजाब के भटिंडा , महाराष्ट्र के धुले , हरियाणा के सिरसा , फतेहाबाद और हिसार आदि स्थानों पर इनका निवास हैं।
भारतीय सेना में सेवा देते हुए कड़वासरा जाति के कई सैनिक शहीद हुए , जिनमें प्रमुख नाम गणपत राम कड़वासरा (राजस्थान ) , एवं संदीप कड़वासरा है।
कड़वासरा जाति के नारायणराम कड़वासरा को अमृता देवी अवार्ड से सम्मानित किया गया। , बाड़मेर के तगा राम कड़वासरा पूर्व विधायक रह चुके हैं। , हिसार के एसपीएस चौधरी पूर्व में वैज्ञानिक पद पर रह चुके हैं।
कड़वासरा जाति को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है , जैसे करवासरा , कुड़वासरा , कडवारा , कुडारा , कड़रा , इत्यादि नाम से जाना जाता है ।