ओपिनियन पोल क्या है, ओपिनियन पोल क्यों फेल हो जाते हैं ?
आपने देश में लोकसभा चुनाव या किसी भी राज्य की विधानसभा चुनाव से पहले टीवी चैनलों पर या न्यूज़पेपर में ओपिनियन पोल जरूर देखे होंगे।
ओपिनियन पोल में जरूर देखा होगा कि न्यूज़ चैनल समाचार पत्रों में बताया जाता है कि कौन सी पार्टी यह चुनाव जीतेंगे और कौन सी पार्टी चुनाव हारेगी ?
आपने यह भी सोचा होगा कि इन लोगों को पहले कैसे पता चल जाता है कि कौन सी पार्टी जीतेगी या कौन सा नेता जीतेगा ?
ओपिनियन पोल के अंतर्गत समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल अपने पत्रकारों को चुनाव के क्षेत्र में भेजते हैं और वहां पर लोगों से यह पत्रकार जानकारी लेते हैं कि आप किस व्यक्ति को वोट देंगे और वोट देने के पीछे क्या कारण है ?
इस आधार पर पत्रकार प्रत्येक विधानसभा की एक रिपोर्ट बनाते हैं और इसके बाद वह उस रिपोर्ट को जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं और बताते हैं कि कौन सा दल विजय होगा ?
लेकिन आपने देखा हुआ कि कई बार ओपिनियन पोल भी गलत हो जाते हैं ? इसके पीछे मुख्य वजह यह होती है कि पत्रकार जिन लोगों से मिलते हैं संयोग से वे सभी लोग एक ही पार्टी से जुड़े हुए होते हैं। क्योंकि पत्रकार एक विधानसभा सीट पर करीब 100 से 200 लोगों का इंटरव्यू लेते हैं , और इसी आधार पर विधानसभा चुनाव की रिपोर्ट तैयार कर देते हैं। इसलिए कई बार ओपिनियन पोल बनाने वाली न्यूज़ न्यूज़ एजेंसीयां ठगी जाती हैं।
किसी राज्य के विधानसभा चुनाव हैं तो पूरे राज्य के करीब 15 हजार से 20 हजार या अधिकतम 40 हजार से 50 हजार पचास हजार तक लोगों की राय ली जाती है ।
वैसे देखा जाए तो ओपिनियन पोल बहुत बार गलत हुए हैं अप्रैल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में बिहार पुडुचेरी बंगाल एवं 2017 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल गलत रहा था।
यानी कि ओपिनियन पोल कभी सही हो सकते हैं तो कभी गलत भी हो सकते हैं।