राजस्थान में बिजली संकट की हकीकत …

News Bureau
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राजस्थान में शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बिजली कटौती की ऐसी मार झेलनी पड़ रही है जिसका राजस्थान की जनता कभी अंदाजा नहीं लगा सकती थी।

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फिलहाल राजस्थान के सरकारी पावर प्लांट में कोयले का स्टाॅक नहीं हो पाई है जिसकी वजह से 2000 मेगावाट की बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। 

जुलाई-अगस्त में राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी कोल इंडिया को कोयले का पेमेंट नहीं कर पाई, जिसकी वजह से कोल इंडिया कोयला देने से इंकार कर रहा है। जब राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी के पास कोयला स्टॉक नहीं रहा तो इसके बाद राजस्थान सरकार ने धीरे-धीरे पेमेंट किया ,इसके बाद वर्षा ऋतु में कोयले की खदाने पानी से भर गई , अब विद्युत उत्पादक कम्पनियों को गीले कोयले से विद्युत उत्पादन में परेशानी आ रही है।

ऐसी स्थिति में आप अलग-अलग विद्युत निगमों ने अलग-अलग समय सारणी बनाकर की विद्युत कटौती शुरू कर दी है ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 4 से 5 घंटे तक विद्युत कटौती रहने की संभावना है। एवं शहरी क्षेत्रों में 1 से 2 घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप रहेगी।

राजस्थान सरकार वर्तमान में ₹20 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रही है यानी कि प्रतिदिन 80 करोड़ का घाटा जा रहा है, जाहिर है भविष्य में इस घाटे की भरपाई करने के लिए सरकार विद्युत यूनिट महंगी करेंगी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार बिजली मामले पर नजर बनाए हुए हैं। वही राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ना तो टाइम पर पेमेंट करती है और ना ही डिमांड ऐसे में कोयला की कमी होना जायज है।

राजस्थान में 12500 मेगावाट की डिमांड है वर्तमान में विद्युत कंपनी से 8500 मेगावाट बिजली उपलब्ध करवा रही है। राजस्थान में बिजली सप्लाई करीब 20 करोड़ यूनिट है।

 

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