रामनिवास राव: राजस्थान के भजन सम्राट की जीवन गाथा Ramnivas Rao Biography

News Bureau
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रामनिवास राव: राजस्थान के भजन सम्राट की जीवन गाथा Ramnivas Rao Biography

राजस्थान की माटी से निकले भजन सम्राट रामनिवास राव आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनकी मधुर आवाज और भक्ति भरे भजनों ने न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में लाखों श्रोताओं के दिलों में एक खास जगह बनाई है। रामनिवास राव का जीवन एक साधारण परिवार से शुरू होकर भक्ति संगीत की दुनिया में शिखर तक पहुंचने की प्रेरणादायक कहानी है।

रामनिवास राव प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रामनिवास राव का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका परिवार साधारण था, और संगीत उनके घर में शुरू से ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। बचपन से ही रामनिवास को भक्ति संगीत और लोक भजनों का शौक था। उनके पिता और दादाजी भी लोक गायन से जुड़े थे, जिससे उन्हें संगीत की प्रारंभिक शिक्षा घर से ही मिली। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा गांव के एक स्थानीय स्कूल से पूरी की, लेकिन उनका असली गुरु उनका संगीत के प्रति प्रेम और भक्ति भाव था।

संगीत की दुनिया में कदम

रामनिवास राव ने अपने करियर की शुरुआत स्थानीय मेलों और धार्मिक आयोजनों में भजन गाकर की। उनकी अनूठी शैली और भक्ति भाव ने जल्द ही लोगों का ध्यान खींचा। 1978 में उनके प्रसिद्ध भजन “नानी बाई रो मायरो” ने उन्हें लोकप्रियता दिलाई। इस भजन ने राजस्थानी लोक संगीत को एक नई पहचान दी और रामनिवास राव को भजन सम्राट के रूप में स्थापित किया।

उपलब्धियां और योगदान

रामनिवास राव ने अपने करियर में सैकड़ों भजनों और लोक गीतों को अपनी आवाज दी है।  भजनों, जैसे “राणाजी थारो देसड़लो” को लाखों लोगों ने सुना और सराहा है। उनकी गायन शैली में राजस्थानी संस्कृति और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। उन्होंने न केवल भजनों के माध्यम से भक्ति भाव को बढ़ावा दिया, बल्कि राजस्थानी लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पहुंचाया।

उनके संगीत में मीराबाई, कबीर और सूरदास जैसे संत कवियों की रचनाएं प्रमुखता से शामिल रही हैं। रामनिवास राव के भजनों में गहरी आध्यात्मिकता और सामाजिक संदेशों का समावेश होता है।

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