नेताओं की एकता: बाड़मेर के स्थानीय नेताओं की चर्चा प्रदेश भर में …..

पाकिस्तान की सीमा के पास बसे बाड़मेर के स्थानीय नेताओं की चर्चा प्रदेश भर में हो रही है , इन नेताओं की चर्चा इसलिए नहीं हो रही की इन नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर है । बल्कि इसलिए हो रही है क्योंकि बाड़मेर में हुए ओबीसी आरक्षण मामले एवं 25 सितंबर को बाडमेर के बालोतरा में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में इन नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिली।

बाड़मेर जिला ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र है और ओबीसी आरक्षण मामले में हुए संशोधन को वापस लेने के लिए पिछले दिनों बाड़मेर जिला मुख्यालय पर रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा गया , बता दें कि ओबीसी आरक्षण मामले में संशोधन बीजेपी की सरकार में हुआ था एवं वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है। लेकिन इस विरोध प्रदर्शन में बीजेपी के पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी एवं बीजेपी के कई नेता पहुंचे , जिन्होंने इस संशोधन को वापस लेने की मांग की । वहीं वर्तमान में कांग्रेस की सरकार होते हुए बायतु से विधायक हरीश चौधरी इस धरना प्रदर्शन में पहुंचे थे , हरीश चौधरी राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके हैं। एवं 2018 के चुनाव में हरीश चौधरी के प्रतिद्वंदी रहे उम्मेदाराम बेनीवाल भी इस धरना प्रदर्शन में शामिल हुए। उम्मेदाराम बेनीवाल आरएलपी के प्रदेश महामंत्री भी है। लेकिन इन सभी नेताओं ने अपने राजनीतिक पार्टियों के हिसाब से अलग-अलग धरना प्रदर्शन नहीं करके एक ही धरने प्रदर्शन में शामिल होने का काम किया ।

वही 25 सितंबर को बाड़मेर के बालोतरा में बजरी माफिया के खिलाफ हुए धरना प्रदर्शन में भी इसी तरह का माहौल देखने को मिला ‌‌‌‌, कांग्रेस बीजेपी एवं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता इस कार्यक्रम में भी पहुंचे , सभी नेताओं द्वारा आपसी सहमति के बाद धरना प्रदर्शन तिथि निश्चित करके धरना प्रदर्शन करना ,  बाड़मेर के नेताओं द्वारा इन कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों से ऊपर उठकर जिस तरह से एकता दिखाईं , यह सोशल मीडिया पर लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।

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