COP28 सम्मेलन के उद्देश्य कब होंगे सफल ?
संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1992 में महसूस किया कि लगातार दुनिया भर में मौसम की मार से लोग परेशान हो रहे हैं, कभी बिन मौसम के बारिश हो जाती है तो कभी मौसम में भी नदियां सूखी पड़ी रहती है, कभी सर्दियों में भी गर्मियों जैसी गर्मी महसूस होती है तो कभी गर्मियों में भी गर्मी नहीं पड़ती।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसके बाद समझौता किया जिसे जलवायु समझौता कहते हैं एवं COP का मतलब होता है कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टी।
अब हम बात करते हैं कि इसके सम्मेलन के महत्वपूर्ण निर्णय क्या रहते हैं और क्या आम जनता तक इसकी विशेष योजनाओं का फायदा होता है ?
साल 2015 में पेरिस में कॉप के सम्मेलन में मौजूद 200 देश की प्रतिनिधियों द्वारा एक समझौता किया गया है एवं इस समझौते के मुताबिक पृथ्वी पर औद्योगिक क्रांति की शुरुआत से पहले के औसत तापमान से वर्तमान का तापमान दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं जाना चाहिए एवं कोशिश करनी चाहिए कि यह तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा ना ही रहे।
औद्योगिक क्रांति शब्द आते ही आप सोच रहे होंगे कि इस शब्द का मतलब क्या होगा ?, सम्मेलन में औद्योगिक क्रांति शब्द के बारे में विस्तृत बात करते हुए बताया गया की 1850 से 1900 ईस्वी के बीच के 50 सालों को औद्योगिक क्रांति से ठीक पहले के साल माने जाते हैं और इस समय के तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान वर्तमान में भी नहीं होना चाहिए।
पेरिस में हुए सम्मेलन में समझौता में तय किया गया की 2030 से पहले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाने पर बल दिया जाएगा एवं इसके लिए अमीर देश गरीब देश की मदद भी करेंगे।
इस सम्मेलन में कहा गया की प्रकृति पर हर व्यक्ति को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होगी एवं इसको लेकर हर देश को अपने स्तर पर भी प्रयास करने चाहिए, की दुनिया में आने वाली नई आपदा से पहले सावधानी पूर्वक हिसाब आपदा को टाल दिया जाए।
लेकिन यह सब जितना आसान भाषा में सभी देश बोल रहे हैं उतना आसान नहीं है क्योंकि दुनिया भर में जीवाश्म ईंधनों पर कई देशों की रोजी-रोटी चलती हैं।
ऐसे में इन देशों को पहले जीवाश्म ईंधन के अलावा आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जानी चाहिए अन्यथा सम्मेलन में शामिल होने वाले देशों पर जबरदस्ती पूर्वक आदेश चलाकर तो सम्मेलन को सफल नहीं बनाया जा सकता, सम्मेलन के उद्देश्यों को सफल नहीं किया जा सकता, दुनिया में बदल रही जलवायु से छुटकारा नहीं पाया जा सकता।
कॉप 28 को यह भी तय करना होगा कि अमीर देश को जिम्मेदारी लेकर गरीब देश की मदद करनी होगी एवं सामूहिक रूप से पर्यावरण को बचाने के लिए एवं जलवायु परिवर्तन के खतरों के संभावित कारणों पर विस्तृत अध्ययन करके समाधान के उपाय ढूंढ़ने होंगे, अन्यथा कॉप 28 के सम्मेलन सिर्फ देखने एवं खबरों में पढ़ने के लिए ही रह जाएंगे।