वैक्सीन लगाने पर बेटी की मौत , पिता ने 1000 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की …… COVID VACCINE SIDE EFFECT

News Bureau
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महाराष्ट्र में एक मेडिकल प्रोफेसर को कोविड-19 की वैक्सीन के बाद हैरान करने वाला मामला सामने आया है , वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट में मेडिकल प्रोफेसर की पिता द्वारा याचिका दर्ज करते हुए ₹1000 करोड़ के मुआवजे की मांग की।

 

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महाराष्ट्र में एक मेडिकल प्रोफेसर को कोविड-19 की वैक्सीन के बाद हैरान करने वाला मामला सामने आया है , वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट में मेडिकल प्रोफेसर की पिता द्वारा याचिका दर्ज करते हुए ₹1000 करोड़ के मुआवजे की मांग की।क्या है मामलामुंबई हाई कोर्ट में याचिका दर्ज करने वाले दिलीप लुणावत ने बताया कि उसकी 32 वर्षीय बेटी स्नेहल लुणावत किसी मेडिकल कॉलेज में सीनियर लेक्चरर थी उसने 28 जनवरी को कोविड की पहली डोज नासिक में ली थी ,  इसके बाद 1 सप्ताह बाद 5 फरवरी को उसके सिर में तेज दर्द हुआ , डॉक्टर से संपर्क करने पर उसे माइग्रेन की दवा दी गई , जिसे खाकर वह एक बार ठीक हो गई लेकिन 7 फरवरी की सुबह उसे उल्टी होने लगी इसके बाद उसे पास के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जिस पर डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसके ब्रेन में ब्लीडिंग हो चुकी है न्यूरो सर्जन मौजूद न होने के कारण उसे दूसरे अस्पताल में ले जाया गया , वहां डॉक्टर ने लेक्चरर के दिमाग में खून का थक्का होने की आशंका जताई इसके बाद उसे ब्रेन हेमरेज हुआ , डॉक्टरों ने खून का थक्का हटाने की सर्जरी की इसके बाद 14 दिन तक वेंटिलेटर पर रही ‍, लेकिन कोई हालात में सुधार नहीं हुआ और 1 मार्च 2021 को उसकी मौत हो गई।लुणावत का कहना है कि उसकी बेटी हेल्थ वर्कर थी इस कारण उसे वैक्सीन लगाने के लिए मजबूर किया गया ।याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार के आफ्टर इफेक्ट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन कमेटी ने 2 अक्टूबर 2021 को माना था कि स्नेहल की मौत कोविड-19 की साइड इफेक्ट से हुई।इसके बाद मृतक के पिता ने सरकार की जिम्मेदार अधिकारियों एवं को कोविड वैक्सीन के निर्माता इंस्टिट्यूट से मुआवजे की मांग की एवं स्नेहल को शहीद घोषित करने एवं उनके नाम पर एक शोध संस्थान भी खोलने की भी मांग की।स्नेहल की मौत के एक साल बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर मामला सुर्खियों में है।

क्या है मामला

मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दर्ज करने वाले दिलीप लुणावत ने बताया कि उसकी 32 वर्षीय बेटी स्नेहल लुणावत किसी मेडिकल कॉलेज में सीनियर लेक्चरर थी उसने 28 जनवरी को कोविड की पहली डोज नासिक में ली थी ,  इसके बाद 1 सप्ताह बाद 5 फरवरी को उसके सिर में तेज दर्द हुआ , डॉक्टर से संपर्क करने पर उसे माइग्रेन की दवा दी गई , जिसे खाकर वह एक बार ठीक हो गई लेकिन 7 फरवरी की सुबह उसे उल्टी होने लगी इसके बाद उसे पास के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जिस पर डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसके ब्रेन में ब्लीडिंग हो चुकी है न्यूरो सर्जन मौजूद न होने के कारण उसे दूसरे अस्पताल में ले जाया गया , वहां डॉक्टर ने लेक्चरर के दिमाग में खून का थक्का होने की आशंका जताई इसके बाद उसे ब्रेन हेमरेज हुआ , डॉक्टरों ने खून का थक्का हटाने की सर्जरी की इसके बाद 14 दिन तक वेंटिलेटर पर रही ‍, लेकिन कोई हालात में सुधार नहीं हुआ और 1 मार्च 2021 को उसकी मौत हो गई।

लुणावत का कहना है कि उसकी बेटी हेल्थ वर्कर थी इस कारण उसे वैक्सीन लगाने के लिए मजबूर किया गया ।

याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार के आफ्टर इफेक्ट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन कमेटी ने 2 अक्टूबर 2021 को माना था कि स्नेहल की मौत कोविड-19 की साइड इफेक्ट से हुई।

इसके बाद मृतक के पिता ने सरकार की जिम्मेदार अधिकारियों एवं को कोविड वैक्सीन के निर्माता इंस्टिट्यूट से मुआवजे की मांग की एवं स्नेहल को शहीद घोषित करने एवं उनके नाम पर एक शोध संस्थान भी खोलने की भी मांग की।

स्नेहल की मौत के एक साल बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर मामला सुर्खियों में है।

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