बाड़मेर में कमला देवी की मौत: दिल दहला देने वाली घटना
जहां एक ओर समाज आधुनिकता की बड़ी-बड़ी बातें करता है तो दूसरी ओर सीमा के पास बसे बाड़मेर से खबर आती है कि यहां एक महिला को क्रूर तरीके से पीटा गया, घाव ऐसे थे कि महीनों तक मिट नहीं सकते और महिला की आवाज थी कि
वह जहां चाहे जा सकता है लेकिन मेरे पर तो रहम करे।
हमारे समाज के तथाकथित प्रगतिशील चेहरे पर यह एक जोरदार तमाशा है, कि 34 साल की कमला देवी की लाश उसके ही घर में बाथरूम में फंदे लटकती हुई मिलती है।
प्रशासन की शुरुआत रिपोर्ट और ससुराल का दावा है कि यह आत्महत्या है वहीं मृतका के परिवार ने आरोप लगाया है कि यह सोच समझी साजिश है, खैर जो भी हो लेकिन किसी महिला की मौत जरूर है। अगर महिला की आत्महत्या है तो भी काबिल फ़िल्म का एक डायलॉग याद करिए कि
दिखाई नहीं देता, पर शामिल ज़रूर होता है,
हर ख़ुदकुशी करने वाले का कोई ना कोई क़ातिल ज़रूर होता है।
कमला के पीहर पक्ष की ओर से कुछ वीडियो जारी किए गए हैं, इन वीडियो में कमला के शरीर पर गहरे घाव हैं। आमतौर पर ऐसा सलूक तो किसी जानवर के साथ भी तो कम से कम नहीं किया जाता है।
बताया जा रहा है कि प्रशासन ने कमला के पति मुकनाराम को हिरासत में लिया है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं और सबूत के अभाव में अपराधी बच निकलते हैं।
ऐसे में प्रश्नचिन्ह है समाज की व्यवस्था पर ?
क्या तलाक या रजामंदी से भी जान नहीं बच सकती, घुट-घुटकर क्यों इंसानों को मारने पर मजबुर किया जा रहा हैं या मारा जा रहा है ?