यौन शोषण का आरोपी, नौकरी से बर्खास्त होने वाला सुरजपाल कैसे बना भोले बाबा ?
हाथरस में भगदड़ मचने के बाद 122 लोगों की मौत हो गई, यहां पर सत्संग कर रहे मुख्य प्रवचनकर्ता भोलेबाब के बारे में हर कोई जानना चाहता हैं।
बताया जा रहा है कि सत्संग में करीब 80 हजार लोगों की भीड़ थी, और यह भीड़ भोलेबाबा को सुनने के लिए आई थी।
भगदड़ कैसे मची ?
सत्संग समापन होने के बाद सभी लोग घर जाने के लिए रवाना हुए, इसी दौरान लोग भोले बाबा चरणों की धूल लेने की कोशिश करने लगे, इसी कोशिश में भीड़ बेकाबू हो गई।
इसी दौरान वॉलिंटियर्स ने वाटर कैनन से पानी की बौछार की, लोग फिसल गए और जमीन पर गिर गए इसके बाद एक दूसरे को रोंगटे हुए लोग निकल गए और जमीन पर गिरने वाले लोग खड़े नहीं हो पाए।
कौन है भोलेबाबा ?
हमारी टीम ने जब इसके बारे में पड़ताल की तो पता चला कि भोलेबाबा का आश्रम 30 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है।
भोलेबाबा का असली नाम सुरज पाल हैं, यह एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला हैं। शुरुआती पढ़ाई के बाद सूरजपाल की नौकरी उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर लग गई, यहां सूरजपाल की 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में भी पोस्टिंग रही थी।
इसी बीच सूरजपाल के खिलाफ यौनशोषण का मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया, इस मामले में सूरजपाल को जेल भी हुई थी।
लेकिन जेल से बाहर आने के बाद उसने अपना नाम बदलकर नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि रख दिया।
अभी बाबा के ऊपर यौन शोषण सहित पांच मुकदमे दर्ज है।
उपदेश देना शुरू कर दिया और लोग उसे भोले बाबा कहने लगे, भोले बाबा के साथ उसकी पत्नी भी प्रवचन देती है लेकिन पिछले दो महीनों से स्वास्थ्य खराब होने के कारण भोले बाबा अकेला ही प्रवचन देता था।
भोले बाबा नाम रखने के पीछे वजह बताई जाती है कि लोग उसे महादेव की तरह पूजते हैं।
भोले बाबा अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनता हैं वह थ्री पीस सूट एवं रंगीन चश्मे में नजर आता है।
बाबा दावा करता हैं कि उसने 18 साल नौकरी करने के बाद वीआरएस ले लिया और इसके बाद उसे भगवान से साक्षात्कार हुआ।
भोलेबाबा की अपनी आर्मी बनाई हुई है जिन्हें वह सेवादार कहता हैं, हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की कमान यही सेवादार संभालते हैं।
भोलेबाबा के ऊपर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप है, बिधनू थाना क्षेत्र में 5 से 7 बीघा जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगा था।
काॅविड के दौरान भी हुआ था विवाद
मई 2022 को देश में कोरोना की लहर आई उस समय बाबा ने फर्रुखाबाद में सत्संग किया था, जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों को शामिल होने की इजाजत दी थी लेकिन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हो गए थे।
इसके बाद प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी।