महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन परिचय: Biography of Maharana Pratap

महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन परिचय: Biography of Maharana Pratap

महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन परिचय: Biography of Maharana Pratap इस लेख में हम आपको बताएंगे हम महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी सभी घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी हम आपको इस लेख में बताएंगे।

महाराणा प्रताप के बारे में संपूर्ण जानकारी-

  • महाराणा प्रताप का जन्म जेष्ठ शुक्ल तृतीया (9 मई 1540) को कुंभलगढ़ दुर्ग राजसमंद में हुआ था। महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदय सिंह तथा माता का नाम धीरबाई भटियाणी है। तथा महाराणा प्रताप की पत्नी का नाम अजबदे पंवार था।
  • महाराणा प्रताप के पिता की मृत्यु 28 फरवरी 1572 को हुई थी और इसी दिन महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक किया गया था।
  • राज्याभिषेक के दौरान महाराणा प्रताप को शाही तलवार ब्राह्मण कृष्णदास निर्धारण करवाई थी तथा प्रताप को गद्दी पर इनके मामा अखैराज सोनगरा ने बिठाया था।
  • महाराणा प्रताप ने अपने जीवन काल के दौरान मुख्यतः तीन युद्ध लड़े थे और तीनों युद्धों में महाराणा प्रताप विजयी रहे थे।
महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन परिचय: Biography of Maharana Pratap
महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन परिचय: Biography of Maharana Pratap
  • हल्दीघाटी के युद्ध को महाराणा प्रताप के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध माना जाता है यह युद्ध 18 जून 1576 को राजस्थान के राजसमंद जिले में महाराणा प्रताप और अकबर के मध्य हुआ था।
  • हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर ने महाराणा प्रताप के समक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हार स्वीकार कर ली थी क्योंकि अकबर की सेना महाराणा प्रताप को बंदी बनाने में असफल रही थी।
  • महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक है जो काठियावाड़ी नस्ल का मजबूत कद काठी का घोड़ा था इस घोड़े की छतरी वर्तमान में हल्दीघाटी बलीचा गांव में स्थित है।
  • हल्दीघाटी के युद्ध के पश्चात महाराणा प्रताप ने अक्टूबर 1582 में दिवेर का युद्ध अकबर के चाचा सुल्तान खान तथा अब्दुल रहीम खाने खान के विरुद्ध लड़ा था।
  • दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई थी और इस विजय को मेवाड़ की धरती को मुगलों से मुक्त कराने के अभियान के रूप में जाना जाता है।
  • राणा प्रताप ने अपने जीवन का अंतिम युद्ध 1585 ई. में लड़ा था जिसे चावंड का युद्ध कहा जाता है महाराणा प्रताप ने यह युद्ध चावंड के शासक लूणा चावंडिया के विरुद्ध लड़ा था।
  • चावंड के युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई थी तथा महाराणा प्रताप ने चावंड को राजधानी बना लिया था वही महाराणा प्रताप के अंतिम 12 वर्ष चावंड में ही शांतिपूर्ण तरीके से व्यतीत हुए।
  • 19 जनवरी 1597 को चावंड में ही महाराणा प्रताप का देहांत हो गया था। तथा प्रताप का अंतिम संस्कार बाडोली (उदयपुर) में किया गया था जहां महाराणा प्रताप के 8 खंभों की छतरी बनी हुई है।
  • अंतिम सांस तक महाराणा प्रताप ने चित्तौड़गढ़ और कुंभलगढ़ को छोड़कर संपूर्ण मेवाड़ पर अपना आधिपत्य कर लिया था।

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