सांगरी को मिला GI टैग: राजस्थान की मशहूर सांगरी को वैश्विक पहचान
राजस्थान की पारंपरिक और स्वादिष्ट फली ‘सांगरी’ को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग मिल गया है, जिससे इसे वैश्विक स्तर पर एक विशिष्ट पहचान प्राप्त हुई है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर का भी सहयोग रहा है। सांगरी राजस्थान का 17वां उत्पाद है, जिसे GI टैग से सम्मानित किया गया है।
कीमत दो से तीन गुना होगी, 1500 से 3000 प्रति किलो तक जाएगी सांगरी
सांगरी को जीआई टैग मिलने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में सांगरी की मांग बढ़ जाएगी और सांगरी के दाम भी दो से तीन गुना बढ़कर 1500 से 3000 रुपए प्रति किलो तक होंगे।
खेजड़ी की फली: सांगरी का महत्व
सांगरी, खेजड़ी के पेड़ की फली, पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, चूरू, झुंझुनूं, सीकर, जोधपुर और फलोदी जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर होती है। यह न केवल स्थानीय व्यंजनों जैसे ‘पंचकुटा’ और ‘केर सांगरी’ की मुख्य सामग्री है, बल्कि सूखे क्षेत्रों में पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।
खेजड़ी, जिसे राजस्थान का राज्य वृक्ष भी कहा जाता है, अपनी पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्ता के लिए जाना जाता है। सांगरी की यह उपलब्धि स्थानीय किसानों और खेजड़ी से जुड़े समुदायों के लिए गर्व का क्षण है।
GI टैग से लाभ
GI टैग प्राप्त होने से सांगरी की गुणवत्ता और विशिष्टता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलेगी। इससे न केवल इसकी बाजार मांग बढ़ेगी, बल्कि किसानों को बेहतर कीमत भी प्राप्त होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सांगरी की कीमत 2-3 गुना तक बढ़ सकती है।
स्थानीय समुदाय में उत्साह
सांगरी को GI टैग मिलने की खबर से पश्चिमी राजस्थान के किसानों और स्थानीय समुदाय में खुशी की लहर है। बालोतरा की एक किसान प्रमिला ने कहा, “सांगरी हमारी संस्कृति और आजीविका का हिस्सा है। अब इसे दुनिया भर में पहचान मिलेगी, जिससे हमें आर्थिक लाभ होगा।” सोशल मीडिया पर भी लोग इस उपलब्धि को उत्साहपूर्वक साझा कर रहे हैं, इसे राजस्थान की सांस्कृतिक और कृषि विरासत के लिए गर्व का क्षण बता रहे हैं।