मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पिछले कुछ दिनों से बार-बार पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना बनाने से नहीं चूक रहे हैं लेकिन उनके जवाब में अभी तक भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता ने वापिस जवाब नहीं दिया है, यहां तक कि आलाकमान ने भी मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठाया है , इस पूरे घटनाक्रम से हर कोई आश्चर्यचकित है ज्योति मेघालय के राज्यपाल पूर्व में भाजपा की समर्थक रहे है , और उन्होंने पिछले महीने राजस्थान के जयपुर में आयोजित किसी कार्यक्रम में पीएम मोदी को किसान विरोधी बताया था उसके बाद सत्यपाल मलिक ने उत्तर प्रदेश में निजी कार्यक्रम के बाद एक बार फिर पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए उन्हें घमंडी बताया पीएम मोदी को इतना घमंड है कि वह मुझसे बात नहीं कर सकते।
हर व्यक्ति यही जानना चाहता है कि सत्यपाल मलिक पीएम मोदी का इतना विरोध कर रहे हैं फिर भी भारतीय जनता पार्टी उनके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं ले रही है ? हमने जब इसका कारण ढूंढने का प्रयास किया तो हमें सबसे प्रमुख कारण उत्तर प्रदेश के हाल ही में होने वाले विधानसभा चुनाव मिले।
दरअसल सत्यपाल मलिक जाट समाज से बिलॉन्ग करते हैं , और बीजेपी जानती है कि तीनों कृषि कानून के विरोध में जाट एवं सिख किसानों ने सबसे ज्यादा भाग लिया था इसलिए बीजेपी यह भी जानती है कि इस बार उन्हें जाट वोट बैंक के मिलने की उम्मीद बहुत कम है , इसलिए बीजेपी जाट समुदाय को और नाराज नहीं करना चाहती है।
उत्तर प्रदेश में 22 जिलों में करीब 14 प्रतिशत आबादी जाट समुदाय की है, 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 93 प्रतिशत जाटों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया था , 2017 के विधानसभा चुनाव में करीब 39% जाट समुदाय के वोट भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आए थे। यानी कि पिछले आंकड़े देखें तो भारतीय जनता पार्टी के साथ जाट समुदाय के वोट आंकड़े लगातार बढ़ रहे थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी मानती है कि कृषि कानूनों से जितना उन्हें वोट बैंक का नुकसान नहीं होगा , उससे ज्यादा नुकसान सत्यपाल मलिक पर किसी भी प्रकार का एक्शन लेने से होगा। क्योंकि किसान परिवारों में सत्यपाल मलिक का काफी प्रभाव है।