बेनाम से नाम का सफर, यूंही नहीं शुरू हुआ

News Bureau
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बेनाम से नाम का सफर, यूंही नहीं शुरू हुआ 

यूं तो दुनिया में हजारों रिश्ते बनते हैं, बनाए जाते हैं, टूटते हैं या फिर बिखर जाते हैं‌।

हर शख्स के लिए हम अलग से नाम ढूंढ कर रखते हैं किसी को अपना भाई, किसी को बहन,किसी को ब्वायफ़्रेंड- गर्लफ्रेंड, किसी को अपना दोस्त तो किसी को अपना खास दोस्त, किसी को अपना जीवन साथी तो किसी को अपना क्षण भर का साथी मानते हैं।

मगर इन रिश्तों के नाम से परे भीतर की एक आभासी दुनिया में हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग भाव होते हैं, मोबाइल के कांटेक्ट लिस्ट की तरह हम जीवन की कांटेक्ट लिस्ट में भी किसी व्यक्ति को ज्यादा तो किसी को को कम अहमियत देते हैं मगर कई बार जिंदगी के किसी मोड़ पर बेनाम रिश्ते ऐसे बन जाते हैं कि इनकी कीमत सांसारिक थोपे गए नामों से ज्यादा होती हैं इन रिश्तों में गलतियां एवं कमियां सभी माफ करने की क्षमता होती है इनमें बिना मतलब नुकसान दिखने के बाद भी हर बार सहायता करने की हिम्मत होती हैं, इनमें साथ चलकर आगे बढ़ने बढ़ने की ताकत होती हैं। सामाजिक स्तर पर हमें दिए गए भाई, बहन, पति-पत्नी, मां बाप, सास-ससुर सहित सभी रिश्तों में कभी खुद को चुनने की आजादी नहीं होती हैं, शायद इसीलिए हमें जिंदगी के कुछ सांसारिक भावनाओं से बाहर अनाधिकृत समय में ऐसे लोगों से मुलाकात होती है जिन्हें जिंदगी का टुकड़ा तो बनाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह कोशिश असफल रहती है।

समाज इन बेनाम के रिश्तों पर हर बार कटाक्ष करने को लेकर सशस्त्र तैयार रहता हैं, सामाजिक स्तर पर हमें पाल रहे लोग हमेशा खुद के बने बनाए कायदों में व्यक्ति को ढालना पसंद करते हैं।

लेकिन इसी अंतराल में अंतरात्मा से शुरू की गई गुमनाम जिंदगी वक्त के शेड्यूल के साथ आम लोगों तक कानाफूसी लायक हो भी जाते हैं तो नाजायज रूप से समाज में संस्कृति को अलौकिक रूप खराब करने वाले सज्जन भी शब्द रूपी बाण से निशाना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

अंत में अभिमन्यु को घेरकर वार किए जाएंगे और एक अकेला कितनों का वार सहन कर पाएगा, फिर इन दिलों में एक नया मोड़ आएगा और या तो इन गुमनाम दो लोगों के जोड़ को सांसारिक शक्तियों के हथियारों से मुक्ति के लिए सांसारिक नाम देने अनिवार्य हो जाएंगे, दो गुमनाम लोगों को भी दोस्ती, यारी, भ्राता, भाण, सहेली, सहयोगी जैसे नाम ज़रुरी हो जाएंगे। परंतु अगर आप इन दिखावटी व मतलब से बने नामों में यकीन नहीं करते हैं तो दोनों की चाहत को खत्म करने के लिए दोनों को तोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया जाएगा और यकीनन जिस प्रकार से जीवन का अंत मौत से होता है उसी तरीके से इसे या तो कहानी बनाकर छोड़ जाता है या सांसारिक नाम दे दिया जाता हैं।

 

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