प्रयागराज में बवाल के बाद पुलिस का बड़ा एक्शन: 50 से अधिक आजाद समाज पार्टी कार्यकर्ता गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रविवार को हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में पुलिस ने कड़ा रुख अपनाते हुए आजाद समाज पार्टी (ASP) और भीम आर्मी से जुड़े 50 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई तब हुई जब नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद को करछना तहसील के इसौटा गांव में पीड़ित परिवार से मिलने से रोक दिया गया था। इस घटना के बाद उनके समर्थकों ने पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ और पत्थरबाजी की, जिससे तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, चंद्रशेखर आजाद रविवार को करछना के इसौटा गांव में एक व्यक्ति की जलने से हुई मौत के मामले में पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। परिवार का दावा है कि मृतक, देवीशंकर, को 13 अप्रैल को जिंदा जला दिया गया था। इसके अलावा, चंद्रशेखर कौशांबी जिले में पाल समाज की एक नाबालिग बच्ची के साथ कथित दुष्कर्म मामले में भी पीड़ित परिवार से मिलने की योजना बना रहे थे।
हालांकि, पुलिस ने कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए चंद्रशेखर को सर्किट हाउस में ही रोक लिया और उन्हें गांव जाने की अनुमति नहीं दी। इस बात से नाराज उनके समर्थकों ने करछना थाना क्षेत्र में जमकर हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों ने दो पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया, पत्थरबाजी की और कुछ वाहनों में आगजनी की कोशिश की।
हिंसा के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित किया। यमुना नगर के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) विवेक चंद्र यादव ने बताया कि इसौटा गांव के पास पत्थरबाजी और तोड़फोड़ में शामिल 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य की पहचान की जा रही है। पुलिस ने 54 लोगों को नामजद किया है और 550 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से नुकसान की भरपाई भी की जाएगी।
चंद्रशेखर आजाद का बयान
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना को एक साजिश करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें जानबूझकर रोका और उनके कार्यकर्ताओं को फंसाया जा रहा है। चंद्रशेखर ने कहा, “मुझे 2.5 घंटे तक सर्किट हाउस में रोका गया। पुलिस और प्रशासन कुछ छिपाना चाहते हैं, इसलिए मुझे पीड़ित परिवारों से मिलने से रोका गया। यह कौशांबी और करछना की घटनाओं से ध्यान हटाने की साजिश है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यकर्ता संविधान में विश्वास रखते हैं और हिंसा में शामिल नहीं होते।