बिश्नोई समाज के 29 नियम, बिश्नोई संप्रदाय के नियम, बिश्नोई समाज के 29 नियम, बिश्नोई समाज के नियम, Bishnoi samaj ke 29 niyam, bishnoi samaj ke niyam
विश्नोई सम्प्रदाय के नियम
विश्नोई संप्रदाय के संस्थापक जांबेश्वर का जन्म 1452 ईस्वी में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन नागौर की पीपासर गांव में हुआ इनके पिता जी का नाम लोहठ जी परमार एवं उनके माता जी का नाम मनसा देवी था इन्हें पर्यावरण वैज्ञानिक विष्णु का अवतार माना जाता है इन्होंने 1485 में कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन समराथल धोरा बीकानेर में विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की इसमें 29 इस संप्रदाय में 29 नियम होने के कारण इसको 20 + 9 (नोई) कहा।
विश्नोई संप्रदाय में जांभोजी द्वारा 29 नियम प्रतिपादित किए गए जिसे आज भी विश्नोई समाज के लोग बड़ी श्रद्धा एवं मन से निभाते हैं राणा सांगा , सातल देव, मोहम्मद खां ,राव दूदा ,जत्र सिंह, सिकंदर लोदी आदि जांभोजी के शिष्य रहे हैं। बिश्नोई समाज के लोक बकरी या भेड़ नहीं पालते हैं क्योंकि इनका मानना है कि भेड़ बकरियां नव अंकुरित पौधों को खा जाती हैं।
राजस्थान के पंचपीर कौन है? Rajasthan ke panch peer
अब जानते हैं
विश्नोई संप्रदाय के 29 नियमों के बारे में।
- प्रतिदिन सवेरे स्नान करना
- नीला वस्त्र व नील का त्याग करना
- मांस नहीं खाना
- शराब नहीं पीना
- भांग नहीं पीना
- तंबाकू नहीं खाना
- अमल नहीं खाना
- बैल बधिया नहीं करना
- थाट अमर रखना
- रसोई अपने हाथों से बनानी
- काम, क्रोध आदि को वश में रखना
- हरा वृक्ष नहीं काटना
- जीव दया करना
- विष्णु का भजन करना
- अमावस्या का व्रत रखना
- वाद विवाद का त्याग करना
- झूठ नहीं बोलना
- निंदा नहीं करनी
- चोरी नहीं करना
- क्षमा याचना धारण करना
- वाणी विचार करके बोलना
- पानी इंधन व दूध को छानकर प्रयोग में लेना
- निष्ठा एवं प्रेम पूर्वक हवन करना
- संध्या समय आरती और हरि गुण गाना
- द्विकाल संध्या उपासना करना
- बाह्य एवं आंतरिक पवित्रता रखना
- शील का पालन करना व संतोष रखना
- प्रतिदिन सवेरे स्नान करना
- 5 दिन ऋतुवन्ती स्त्री को गृह कार्य से पृथक रखना
- 30 दिन तक सूतक रखना।
संप्रदाय की इन्हीं नियमों के कारण 1730 में बिश्नोई समाज के लोगों ने अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में कुल 363 लोगों ने अपना बलिदान दिया। एवं इसके अलावा 1604 ईस्वी में वर्मा व गोरा ने वृक्षों की रक्षा करते हुए बलिदान दिया था।