दुनिया से खफा होकर जलवायु क्यों कर रही है परिवर्तन ?
जलवायु परिवर्तन के बारे में तो आप जानते होंगे, आपने यह शब्द पहली बार सुना है तो आपको बता दें कि जब भी किसी क्षेत्र विशेष में सामान्य औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं, इसे अंग्रेजी में क्लाइमेट चेंज भी कहा जाता है।
पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है और बीते कई सालों में तापमान में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, पृथ्वी के तापमान में वर्दी के कारण महासागरों का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं समुद्र किनारे बसने वाली द्वीपों और शहरों के डूबने का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि क्यों ?
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि का कारण जलवायु परिवर्तन है और जलवायु परिवर्तन मुख्य दो वजह से होती है एक तो प्राकृतिक गतिविधियां एवं दूसरा कारण मानवीय गतिविधियां ।
हालांकि जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारणों की बात की जाए तो मानव के किए कर्मों की वजह से ही जलवायु में जल्दी से परिवर्तन हो रहे हैं।
आपने अपने आसपास तो देखा होगा या फिर समाचार पत्रों के माध्यम से जरूर पढ़ा होगा की निरंतर बढ़ती आबादी की जरूरत को पूरा करने के लिए एवं विकास के नाम पर लगातार वृक्षों को काटा जा रहा है।
आवास, खेती एवं लकड़ी सहित अन्य संसाधनों को जुटाने के लिए अंधाधुंध रूप से वृक्षों को काटा जा रहा है एवं इसी के साथ जलवायु परिवर्तन में भी तेजी आ रही हैं।
इसके साथ ही औद्योगिकरण को दिए जा रहे बढावे की वजह से वातावरण में कई प्रकार की जहरीले गैसें हवा में शामिल हो रही है और यह पर्यावरण को दूषित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।
कृषि एवं अन्य कई कार्यो को संपादित करने के लिए रासायनिक उर्वरकों की मांग तेजी से बढ़ रही है और इसका उपयोग भी तेजी से बढ़ रहा है जिसकी वजह से पर्यावरण लगातार नुकसान होता जा रहा हैं।
अब बात करते हैं कि इसके प्राकृतिक कारण भी क्या हो सकते हैं ? प्राकृतिक कारणों की बात की जाए तो ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण कार्बन डाइऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड इत्यादि जैसी गैसें उत्सर्जित होती है एवं यह वायुमंडल के ऊपरी परत पर जाकर फैल जाती है।
इससे पृथ्वी का तापमान कम हो जाता है, इसके मुख्य उदाहरण की बात की जाए तो वर्ष 1816 में इंग्लैंड अमेरिका में ग्रीष्म ऋतु में जो अचानक ठंड आई थी, इसका कारण इससे 1 साल पहले हुए इंडोनेशिया में अनेक ज्वालामुखी विस्फोटों को माना जाता हैं।
पृथ्वी के दो तिहाई से भी ज्यादा भाग में समुद्र मौजूद हैं और समुद्र जमीन की तुलना में दोगुना सूर्य का प्रकाश का अवशोषण करता हैं, ऐसे में सागरों में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होती हैं एवं वायुमंडल की अपेक्षा 50 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड समुद्र में पाई जाती है। लेकिन जब समुद्र के बहाव में बदलाव आता है तो इसके कारण जलवायु प्रभावित होती है और जलवायु में परिवर्तन आते हैं।
पृथ्वी के प्रारंभ में सभी महाद्वीप एक ही स्थान पर स्थित है लेकिन सागरो के कारण धीरे-धीरे एक दूसरे से दूर होते गए और हमारी पृथ्वी पर समय के साथ कई सारे महाद्वीप बन गए।
यह भी पढ़ें भारत में मौसम की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के क्या कदम ?
यह महाद्वीप अब भी एक दूसरे से दूर खिचकते जा जा रहे हैं और इसकी वजह से समुद्र की धाराएं प्रभावित होती है और इसका प्रभाव पृथ्वी की वायुमंडल पर पड़ता हैं। हमारे पास मौजूद हिमालय पर्वत की श्रृंखला भी हर साल एक मिलीमीटर की दर से ऊंची हो रही है।