राजस्थान की राजनीति में 25 सितंबर की शाम बेहद आश्चर्यजनक रही , करीब 2 साल पहले राजस्थान कांग्रेस की दो गुटों में बटंकर आपसी खींचतान सामने आई थी । इसके बाद 2 साल तक दोनों गुटों के नेता चुप रहे , लेकिन कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फिर से विवाद खड़ा हो गया है ।
कांग्रेस पार्टी का आलाकमान एवं सचिन पायलट के समर्थक विधायक चाहते हैं कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बने , अशोक गहलोत के समर्थक विधायक सचिन पायलट को सीएम के तौर पर स्वीकार करने के लिए कतई तैयार नहीं हो रहे है।
इसी बीच संभावना है कि राजस्थान में किसी तीसरे चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर सामने लाया जा सकता है , माना जा रहा है कि अशोक गहलोत की समर्थक विधायकों में से किसी भी विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। देखा जाए तो अशोक गहलोत के विश्वसनीय नेताओं में सीपी जोशी , शांति धारीवाल एवं गोविंद सिंह डोटासरा प्रमुख हैं ।
दिल्ली से आए अजय माखन एवं मलिकार्जुन की कल शाम 7:00 बजे बैठक का कार्यक्रम तय था लेकिन इस कार्यक्रम का अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने विरोध किया एवं इसके बाद इस बैठक को रद्द करना पड़ा।
अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों का कहना है कि 19 अक्टूबर के बाद राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के लिए बैठक होनी चाहिए । राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का चयन करते समय वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सलाह जरूर ली जानी चाहिए।
अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने देर रात सीपी जोशी को अपने इस्तीफे दिए थे , मिडिया की जानकारी के मुताबिक सीपी जोशी को करीब 90 विधायकों ने इस्तीफे सौंपे थे। यह सभी विधायक आज भी सीपी जोशी से मिलकर इस्तीफे स्वीकार करने की मांग करेंगे।
यानी कि कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों का गुट सचिन पायलट को किसी भी शर्त पर राजस्थान में मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहता है ।
राजस्थान में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले कांग्रेस की यह आपसी खींचतान कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है।