विश्लेषण: आरएलपी क्यों हुई कमजोर, लोकप्रिय Hanuman Beniwal का जादू फीका कैसे पड़ा ?
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी राजस्थान की पहली मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टी हैं, 2018 में पार्टी के गठन के बाद एक बार तो ऐसा लगा कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाली है, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 2018 में तीन विधानसभा सीटें जीतकर विधानसभा पहुंची और फिर पार्टी के प्रमुख बेनीवाल नागौर लोकसभा सीट से लोकसभा पहुंचे।
इसके बाद पंचायती राज के चुनाव हुए तो आरएलपी का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा लेकिन इसके बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 2023 के विधानसभा चुनाव में निराशाजनक परिणाम हाथ लगे।
2024 के लास्ट में हुए विधानसभा के उपचुनावों में बेनीवाल की परंपरागत खींवसर विधानसभा सीट पर आरएलपी की हार ने कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा निराश किया।
क्यों कमजोर पड़ रही पार्टी
आरएलपी के गठन के बाद जब आरएलपी ने राजस्थान के मुख्य दलों भाजपा एवं कांग्रेस को वोट बैंक के माध्यम से नुकसान पहुंचाना शुरू किया तो इन दोनों पार्टियों ने आरएलपी को टारगेट करना शुरू कर दिया है।
चूंकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पास अब तक इतने विधायक और सांसद नहीं थे कि हर मोर्च पर पार्टी इन दोनों पार्टियों के नेताओं के आरएलपी के प्रभाव को खत्म करने के लिए तथागत गठबंधन का सामना कर सके।
ऐसे में मुख्य दलों ने आरएलपी के प्रमुख नेताओं को निशाने पर लेकर अपने-अपने दलों में शामिल करवाने की कोशिशें से शुरू कर दी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व विधायक रहे भोपालगढ़ के पुखराज गर्ग जैसे कई नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए।
ऐसे में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पास हनुमान बेनीवाल एकमात्र विकल्प बचा हैं।
(यह आर्टिकल लेखक के विचारों पर निर्भर है)