डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की मौत कैसे हुई ? डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन का आखिरी दिन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम , जिनका नाम सुनते ही देश के हर नागरिक के मन में एक गर्व महसूस होता है , एपीजे अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को मेघालय की शिलांग में हुआ था । डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को हमारे देश में मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है एवं उनकी सरलता एवं सादगी से दुनिया भर में हर कोई प्रभावित है ।
डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम 27 जुलाई को ही दोपहर राजधानी दिल्ली से गुवाहाटी पहुंचे थे , इसके बाद सड़क मार्ग से शिलांग के लिए रवाना हुए ।
अक्सर अब्दुल कलाम कार में बैठते ही सो जाया करते थे लेकिन उस दिन अब्दुल कलाम रास्ते में सोए नहीं थे बल्कि अपने साथी सृजन पाल सिंह के साथ बातें करते रहे ।
इसके बाद अब्दुल कलाम आईआईएम शिलांग पहुंचकर कार्यक्रम में लेक्चर देने के लिए स्टेज पर गए , मात्र दो चार शब्द ही बोल पाए थे कि उन्हें हार्ड अटैक आ गया । इसके बाद वहां पर मौजूद लोग डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अस्पताल लेकर गए, लेकिन तब तक अब्दुल कलाम इस दुनिया को छोड़ चुके थे।
अब्दुल कलाम शिलांग जाते समय रास्ते में भी संसद में चल रहे गतिरोध के बारे में चर्चा कर रहे थे और गतिरोध को खत्म करने के लिए उन्होंने आईआईएन के छात्रों को सुझाव देने के लिए भी आमंत्रित किया था ।
अब्दुल कलाम चाहते थे कि उन्हें हमेशा एक शिक्षक के रूप में याद रखना चाहिए और अब्दुल कलाम के निधन के समय भी वे एक शिक्षक के तौर पर आईआईएएम में छात्रों को संबोधित कर रहे थे ।
इसके बाद भारत सरकार ने भी डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने का फैसला किया । डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा देश के विकास एवं ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान हेतु प्रयास करते रहते थे । डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने शिलांग में अपना संबोधन शुरू किया तो उन्होंने आखिरी लाइन में कहा था कि धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए ? इस सवाल के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा के लिए खामोश हो गए