Kalibanga Sabhyata Ke Notes in Hindi | कालीबंगा सभ्यता के नोट्स , ऐसे सवाल पूछे जाते हैं
सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन राजस्थान में कालीबंगा सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थान है , सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे पहले हड़प्पा को खोजा गया था एवं इसके बाद मोहनजोदड़ो की खोज हुई थी लेकिन वर्तमान में यह दोनों स्थल पाकिस्तान में है एवं सिंधु घाटी की तीसरी खोज कालीबंगा की की गई थी एवं कालीबंगा को सिंधु घाटी की तीसरी राजधानी भी कहा जाता है।
कालीबंगा सभ्यता की खोज
इसकी खोज 1951 में अमलानंद घोषणा की थी एवं इसका विस्तृत उत्खनन 1961 से 1969 तक बृजवासी लाल एवं बालकृष्ण थापर ने किया था।
अब जानते हैं कि कालीबंगा सभ्यता का नाम कालीबंगा क्यों रखा गया ? दरअसल बंगा पंजाबी शब्द है जिसका अर्थ होता है बंगड़ी अर्थात चूड़ी। यहां से बड़ी मात्रा में काले रंग की चुड़ियां मिली होने के कारण इसे कालीबंगा के नाम से जाना जाता है।
कालीबंगा सभ्यता कहां पर स्थित है ?
कालीबंगा सभ्यता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की घग्घर नदी के किनारे पर स्थित है , यह घग्घर नदी सरस्वती नदी का अवशेष हैं।
कालीबंगा सभ्यता की विशेषताएं एवं महत्वपूर्ण तथ्य
कालीबंगा सभ्यता का नगर नियोजन दो भागों में विभाजित किया गया है कालीबंगा का पश्चिमी भाग दुर्गीकृत एवं पूर्वी भाग अदुर्गीकृत था।
कालीबंगा में सड़कों के बारे में विशेष बात यह है कि यह सभी सड़कें 90 डिग्री के कोण यानी कि समकोण पर काटती है , एवं सड़कों के पास में नालियों की व्यवस्था है एवं नालियों की बात की जाए तो नालियां पूरी तरह से ढकी हुई एवं पक्की निर्मित की गई है।
सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन पर आधारित राजस्थान का आधुनिक नगर जयपुर देखा जा सकता हैं। यहीं से खेतों के जूते हुए साक्ष्य प्राप्त हुए हैं एवं सात अग्नि वैदिकाए में भी मिली है।
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यहां से तांबे के बैल की आकृति एवं ईंटों से बने मकानों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
कालीबंगा सभ्यता में जो घर मिले हैं इन सभी घर के मुख्य दरवाजे मुख्य सड़क पर ना खुलकर गली में खुलते हैं।