राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए कल से होंगे नामांकन दाखिल, निर्दलीय प्रत्याशियों का पलड़ा भारी

News Bureau
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राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए कल से होंगे नामांकन दाखिल, निर्दलीय प्रत्याशियों का पलड़ा भारी

इस बार राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए कल से होंगे नामांकन दाखिल, प्रदेश में होने वाले छात्र संघ चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ चुकी है और 26 अगस्त को होने वाले छात्र संघ चुनाव के लिए कल 22 अगस्त से नामांकन होंगे।

राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए कल से होंगे नामांकन दाखिल, निर्दलीय प्रत्याशियों का पलड़ा भारी
राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए कल से होंगे नामांकन दाखिल, निर्दलीय प्रत्याशियों का पलड़ा भारी

छात्र संघ चुनाव लड़ने के इच्छुक युवा नेता कल 22 अगस्त को सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक अपना नामांकन कर सकेंगे। तथा 23 अगस्त को शाम 5:00 बजे तक नामांकन वापसी होगी।

प्रदेश में होने वाले छात्रसंघ चुनाव के मद्देनजर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों तथा उनके संगठक विद्यालयों में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चबंद कर दी गई है।

राजस्थान में कल होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए छात्र संगठन एनएसयूआई ने अपना प्रत्याशी रितु बराला को बनाया है जो कल अपना नामांकन करेगी साथ ही एबीवीपी से प्रत्याशी नरेंद्र यादव भी कल अपना नामांकन करेंगे।

लेकिन एबीवीपी व एनएसयूआई छात्र संगठनों के सामने निर्दलीय प्रत्याशी मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। जिससे पार पाना दोनों ही छात्र संगठनों के लिए टेढ़ी खीर होगा।

निर्दलीय प्रत्याशियों का पलड़ा भारी-

पिछले 2 साल से राजस्थान विश्वविद्यालय की राजनीति में निर्दलीय प्रत्याशियों का बोलबाला रहा है और इस बार के छात्र संघ चुनाव को भी राजनीतिक विशेषज्ञ इसी दृष्टि से देख रहे हैं।

एनएसयूआई के बागी प्रत्याशी निहारिका जोरवाल, महेश चौधरी, संजय चौधरी तथा प्रताप भानु मीणा एनएसयूआई की अधिकृत प्रत्याशी रितु बराला का समीकरण बिगाड़ सकते हैं तो वहीं एबीवीपी के बागी सुरेंद्र राय थलिया नरेंद्र यादव का समीकरण बिगाड़ेगे।

वहीं दूसरी ओर निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल चौधरी तथा पवन यादव का अपना अलग ही बोलबाला है और राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो यह दोनों ही अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहे हैं।

क्योंकि निर्मल चौधरी तथा पवन यादव काफी लंबे समय से छात्र हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और विश्वविद्यालय की राजनीति में सक्रिय भी है जिसका फायदा इनको मिलता दिख रहा है।

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