जोधपुर एयरपोर्ट का नाम अमृता देवी बिश्नोई के नाम पर करने की मांग ने पकड़ा जोर
राजस्थान के जोधपुर में सिविल एयरपोर्ट का नामकरण पर्यावरण संरक्षण की प्रतीक अमृता देवी बिश्नोई के नाम पर करने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।
बिश्नोई समाज सहित शहर के विभिन्न संगठनों और लोगों ने इसकी मांग की है। लोग अमृता देवी के बलिदान को याद करते हुए एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखने की वकालत कर रहे हैं।
अमृता देवी का ऐतिहासिक बलिदान
वर्ष 1730 में जोधपुर के खेजड़ली गांव में अमृता देवी बिश्नोई ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन्होंने अपनी तीन बेटियों आसू, भागू और रत्नी के साथ खेजड़ी के पेड़ों को कटने से बचाने के लिए जोधपुर के तत्कालीन महाराजा अभय सिंह के सैनिकों का विरोध किया। उनके इस अभियान में बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने भी अपने प्राण त्याग दिए। यह घटना विश्व इतिहास में पर्यावरण संरक्षण के लिए बलिदान का अनूठा उदाहरण है। अमृता देवी का यह बलिदान आज भी समाज और पर्यावरण प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
समाज की मांग और समर्थन
बिश्नोई समाज का कहना है कि जोधपुर एयरपोर्ट का नाम अमृता देवी के नाम पर करना न केवल उनके बलिदान को सम्मान देगा, बल्कि यह मारवाड़ क्षेत्र के लिए गौरव की बात होगी।
इधर राजपूत समाज का अन्य प्रस्ताव
जोधपुर एयरपोर्ट के नामकरण को लेकर एक दूसरा पक्ष भी सामने आया है। कुछ संगठनों और स्थानीय लोगों ने एयरपोर्ट का नाम जोधपुर के पूर्व महाराजा उम्मेद सिंह के नाम पर करने की मांग की है।
उनका तर्क है कि महाराजा उम्मेद सिंह ने 1924 में जोधपुर में पहली हवाई पट्टी बनवाई थी और 1931 में जोधपुर फ्लाइंग क्लब की स्थापना की थी, जिसके कारण जोधपुर का एयरपोर्ट देश के सबसे पुराने हवाई अड्डों में से एक है।