भीमराव अम्बेडकर: जो पहला लोकसभा चुनाव हार गए थे, ब्राह्मण लड़की से की थी शादी

Prakash Choudhary
By Prakash Choudhary - Editor In Chief Biography All History
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भीमराव अम्बेडकर: जो पहला लोकसभा चुनाव हार गए थे, ब्राह्मण लड़की से की थी शादी

1947 में हमारा देश आजाद हो गया, 1950 आते आते हमारे देश का संविधान भी तैयार हो गया। 26 जनवरी को संविधान लागू होने के बाद लोकतंत्र नामक नए त्योहार की शुरुआत होने की खुशी में देशभर में उत्साह जोरों पर था, 1952 के फरवरी महीने में देश में पहले लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके थे, अब भारत में भारतीयों की सरकार बनने वाली थी लेकिन इन चुनावों के परिणाम में एक बात ऐसी भी थी जो सबको हैरान कर गई, यह बात थी- संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर चुनाव हार गए थे।

इससे पहले देश की पहली अंतरिम सरकार में जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने के बाद डॉ भीमराव अंबेडकर के कांग्रेस पार्टी से कई मुद्दों पर विवाद होने के बाद कानून मंत्री के पद से डॉक्टर अंबेडकर ने इस्तीफा दे दिया था और नई पार्टी का ऐलान किया, डॉ भीमराव अंबेडकर की नई पार्टी का नाम शेड्यूल कास्ट फेडरेशन पार्टी था।

देश के पहले आमचुनाव 1951-52 में हुए, भीमराव अंबेडकर ने यह लोकसभा चुनाव बॉम्बे नॉर्थ सेन्ट्रल से लड़ा था, लेकिन यहां पर कांग्रेस पार्टी ने भीमराव अंबेडकर के पीए रहे नारायण सबोदा काजरोलकर को प्रत्याशी बनाया और चुनाव मैदान में उतार दिया।

इसके बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भीमराव अंबेडकर के खिलाफ सभाएं भी की थी और पहला लोकसभा चुनाव भीमराव अंबेडकर करीब 15000 वोट के अंतर से हार गए।

इसके बाद 1954 में बंडारा लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए लेकिन इस वक्त चुनाव में भीमराव अंबेडकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

इसके बाद भीमराव अंबेडकर को राज्यसभा भेज दिया गया, 1957 के आम चुनाव से पहले भीमराव अंबेडकर की मृत्यु हो चुकी थी।

भीमराव अंबेडकर अपनी जिंदगी में चुनाव जीत कर लोकसभा में नहीं पहुंच पाए थे।

भीमराव अंबेडकर ने की थी दो शादियां

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अपनी बायोग्राफी में लिखते हैं कि वो अपनी दूसरी पत्नी शारदा कबीर से शादी करने की वजह से 10 साल अधिक जिंदगी जिए थे।

भीमराव अंबेडकर की पहली शादी 15 वर्ष की उम्र में रमाबाई से हुई थी, रमाबाई से उनको 5 बच्चे हुए थे, जिनमें से केवल यशवंत अंबेडकर जीवित रहे।

यह शादी 1906 में हुई थी, लेकिन 1935 में लंबी बीमारी के चलते रमाबाई की मौत हो गई, इसके बाद 1909 में पैदा होने वाली शारदा से 1948 में शादी हुई, इस समय भीमराव अंबेडकर की उम्र 57 साल और शारदा की उम्र 39 साल थी, 15 अप्रैल 1948 को दोनों ने शादी कर ली एवं इसके बाद शारदा ने अपना नाम बदलकर सविता अंबेडकर कर दिया।

भीमराव अंबेडकर अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि 1947 की शुरुआती दिनों में शारदा और अंबेडकर की पहली मुलाकात हुई और इसके कुछ समय बाद भीमराव अंबेडकर ने शारदा से शादी का प्रस्ताव रखा, प्रस्ताव के साथ अंबेडकर ने लिखा था कि ‘तुम्हारी और मेरी आयु के अंतर व मेरे खराब स्वास्थ्य के कारण, अगर तुम मेरे प्रपोजल को अस्वीकार करती हो तो भी मैं अपमानित महसूस नहीं करूंगा इस पर सोचने और मुझे बताना

एक दिन बाद शारदा कबीर ने शादी के लिए हां कर दिया।

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डॉ सविता अपनी आत्मकथा में लिखती है कि मेरा परिवार मध्यम वर्ग का ब्राह्मण समाज का पढ़ा लिखा परिवार था, और मेरे परिवार में 8 में से 6 भाई बहनों ने अपनी जाति से बाहर शादी की थी, लेकिन इसके लिए परिवार ने कभी ऑब्जेक्शन नहीं किया।

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आस पड़ोस की कहासुनी , राजनीति की सीधी व उटपटांग बातें , शिक्षा जगत की खबरें । #PrakashChoudhary नया लेखक लेकिन कुछ पुराने रीति रिवाजों का जानकार 😊
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