मेघवाल ( Meghwal ) समाज का पुराना इतिहास , मेघवाल जाति का इतिहास

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मेघवाल जाति का इतिहास , मेघवाल समाज का पुराना इतिहास ( Meghwal )

मेघवाल समुदाय परम्परागत कृषि करने वाला एवं पशुपालन पर निर्भर समुदाय है ‍‍, मेघवाल जाति राजस्थान , मध्यप्रदेश , गुजरात , हिमाचल प्रदेश एवं महाराष्ट्र में निवास करती है इस जाति को भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध किया गया।

मेघवाल जाति का सामाजिक कार्यक्रम

मेघवाल समुदाय हिंदू धर्म का पालन करता है एवं इस जाति के प्रमुख देवता रामदेव जी , कबीर एवं मेघ ऋषि है ‌। इस जाति के लोग को रिखिया भी कहते हैं।

मेघवाल जाति के लोग खुद को बादलों से उत्पन्न मानते हैं , जैसा कि इनके नाम से विदित होता है कि मेघवाल शब्द में मेघ का अर्थ बादल या बारिश होता है , इसीलिए इस समाज के लोग दावा करते हैं कि वह बारिश से उत्पन्न है वही कुछ इतिहासकार दावा करते हैं कि ऋषि मैघ जो कि एक संत थे , ये उनके वंशज है।

मेघवाल जाति के लोग प्राचीन काल में चमड़े का व्यवसाय भी करते थे , माना जाता है कि प्राचीन समय में दूसरी जातियों के लोग भी चमड़ का व्यवसाय करते थे , जो कि धीरे धीरे मेघवाल जाति में बदल गए । जैसे कि मारु भाबी (राजपूत जाति से ही मेघवाल जाति में आए लोग ) , चरणिया भांबी (चारण जाति से मेघवाल जाति में आए हुए लोग ) , जटा भांबी (जाट जाति से मेघवाल जाति में आए हुए लोग ) , बामणिया भांबी (ब्राह्मण एवं पुरोहित जाति के लोग , जिन्होंने मेघवाल जाति में अपनी जाति परिवर्तित कर दी )

ये सभी समुदाय आपस में फिर वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं करते हैं , मेघवाल जाति में कई उप भागों में भी जातियां बंटी हुई है।

मेव जाति का इतिहास ( History Of Mev )

इस जाति के इतिहास में एक राजाराम नाम व्यक्ति का भी उल्लेख होता है , कहा जाता है कि जोधपुर ( प्राचीन समय में से मारवाड़ कहते थे ) के मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण करते समय किसी व्यक्ति को जिंदा चुनवाने की जरूरत पड़ी एवं उस समय इसी राजाराम नामक युवक ने सहमति देकर खुद को जिंदा चुनवाया था।

मेघवाल जाति के अर्जुन राम मेघवाल वर्तमान में बीकानेर से सांसद है एवं पीएम मोदी सरकार के मत्रिमंडल में मंत्री भी हैं।

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