हुड्डा गोत्र का इतिहास Hudda Gotr History हुडा जाति का इतिहास
जाट जाति के अंतर्गत आने वाली हुड्डा गोत्र के इतिहास एवं नामकरण के बारे में क्या इतिहास हैं, बताया जाता है कि हुडा गोत्र सूर्यवंशी है एवं उनके पूर्वज चौहान वंश के अग्र नाम के एक व्यक्ति की संतान है , अग्र के पुत्र उदासिंह के नाम से ही उदा गोत्र का प्रचलन शुरू हुआ एवं इनका प्रारंभिक क्षेत्र सांभर के आसपास का क्षेत्र बताया जाता है , इसके बाद इस गोत्र ने गोगामेड़ी के आसपास के क्षेत्र में रहना शुरू किया एवं समय के साथ उदा से हुड्डा गोत्र में नाम बदल गया ।
सांगी गांव के भाट ओमप्रकाश के मुताबिक बताया जाता है कि विक्रम संवत 1230 ( सन् 1177 में ) हुड्डा गोत्र का स्वतंत्र रूप से उदय हुआ।
हुड्डा गोत्र के रोहतक में 24 ग्राम बताए जाते है एवं हरियाणा के रोहतक , सोनीपत ,हिसार , अंबाला , फरीदाबाद , सिरसा , भिवानी , पानीपत, जींद , फतेहाबाद इत्यादि जिलों में हुड्डा गोत्र के लोग निवास करते हैं।
राजस्थान में जयपुर , सीकर , चूरू , हनुमानगढ़, जोधपुर , बाड़मेर , बीकानेर , टोंक एवं नागौर में हुड्डा गोत्र के लोग निवास करते हैं।
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मध्य प्रदेश के भोपाल में भी हुड्डा जनसंख्या पाई जाती हैं , एवं गुजरात के मेहसाणा जिले में भी हुड्डा गोत्र की लोग रहते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर , रामपुर , बागपत , मिरुत सहित इस गोत्र के लोग रहते हैं।
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हुड्डा गोत्र में प्रसिद्ध लोगों के बारे में बात की जाए तो मोटूराम , स्वरूप सिंह हुड्डा , भूपेंद्र सिंह हुड्डा , चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा , शीला हुड्डा , श्री कृष्ण हुड्डा , रामधन हुड्डा , दीपेंद्र सिंह हुड्डा इत्यादि प्रसिद्ध लोग रहे हैं।
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