चित्तौड़गढ़ दुर्ग के बारे में जानकारी दर्शनीय स्थल About Chittorgarh Fort
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित चित्तौड़गढ़ दुर्ग का नाम सुनकर वीर ता स्वाभिमान एवं बलिदान की याद दिलाता है, राजस्थान का गौरव कहा जाने वाला चित्तौड़गढ़ दुर्ग एवं गंभीरी एवं बेड़च नदी के संगम पर बनाया गया है।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का मेंसा के पठार पर चित्रांग मौर्य ने इसका निर्माण करवाया।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के सात प्रवेश द्वार
- भैरवपोल
- पाड़नपोल
- गणेश पोल
- रामपोल
- हनुमानपोल
- जोड़लापोल
- लक्ष्मणपोल
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के दर्शनीय स्थल
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में दर्शनीय स्थलों की बात की जाए तो विजय स्तंभ, श्रृंगार चंवरी, कालिका माता का मंदिर, मीरा मंदिर, कुंभा के महल, रविदास की छतरी, पद्मिनी महल, कीर्ति स्तंभ, रतन सिंह का महल, तुलजा भवानी का मंदिर, कुकदेश्वर मंदिर, गोरा बादल के मंदिर, मां सती महल इत्यादि प्रमुख दर्शन स्थल है
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में जनाना बाजार भी प्रसिद्ध जगह एवं देखने योग्य है
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के इतिहास की बात की जाए तो यहां पर 3 साके हुए थे। चित्तौड़गढ़ दुर्ग का पहला साका 1303 ईस्वी में अलाउद्दीन के आक्रमण के समय रतन सिंह ने केसरिया एवं जोहर पद्मिनी के नेतृत्व में हुआ।
चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका 1537 ई में बहादुर शाह के आक्रमण के समय केसरिया विक्रमादित्य ने किया एवं जौहर कर्मावती के नेतृत्व में किया गया।
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चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका अकबर के आक्रमण के समय 1567-68 में हुआ, इस समय यहां पर उदय सिंह शासक थे लेकिन जगमाल एवं पत्ता के नेतृत्व में केसरिया हुआ एवं फूल कंवर के नेतृत्व में 700 रानियों ने जौहर किया। चित्तौड़ के तीसरे साके के समय अकबर ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग में कत्लेआम आम करवाया था।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के निर्माण को लेकर कुमार पाल प्रबंध के अनुसार इसका निर्माण चित्रांग ने करवाया एवं श्यामलदास के अनुसार चित्तौड़ दुर्ग का निर्माण चित्रांगद मौर्य ने करवाया था।