राजस्थान में पशुधन सम्पदा (संख्या) 20वीं पशुगणना
राजस्थान देश का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है एवं राजस्थान में कृषि एवं पशुपालन आजीविका के मुख्य साधन है कृषि करने वाले लोग भी अकाल की स्थिति में पशुपालन का सहारा लेकर अपनी आजीविका चलाते हैं।
राजस्थान में पशुधन संख्या 20वीं पशु गणना के मुताबिक
राजस्थान में गायों की संख्या 139. 38 लाख हैं , इसी जनगणना के मुताबिक राजस्थान में भैंसों की संख्या 136.93 लाख है , राजस्थान में भेड़ों की संख्या की बात की जाए तो भेड़ों की संख्या 79.04 लाख हैं।
राजस्थान में गरीब की गाय कही जाने वाली बकरी की संख्या 208.40 लाख हैं। राजस्थान में घोड़ों की संख्यां 34 हजार हैं। राजस्थान में खच्चर की संख्या 23000 एवं गधों की संख्या 213000 हैं, राजस्थान के राज्य पशु ऊंट की संख्या 155000 है । एवं सूकर वंश की संख्या 5.68 लाख हैं।
राजस्थान में सबसे पहली पशु गणना 1919 में की गई थी , 1919 के दिसंबर में पहली पशुगणना की गई एवं राजस्थान के एकीकरण के बाद सबसे पहली पशुगणना 1961 में की गई थी।
इसके बाद 1966 , 1971, 1977 ,1983 ,1981 ,1994, 1997 ,2003 ,2007 , 2012 एवं इसके बाद 2019 में फिर से पशुगणना की गई।
1977 से पहले हुई जनगणना में सिर्फ तहसील स्तर पर पशु गणना व पशुधन संख्या को प्रकाशित किया जाता था लेकिन इसके बाद ग्राम वार प्रकाशित किया जाने लगा।
राजस्थान में पशु गणना का कार्य करने हेतु राजस्व मंडल अजमेर में पशु गणना प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है , इसका प्रशासनिक विभाग जयपुर में स्थापित किया गया।
राजस्थान की 20वीं पशु गणना के मुताबिक 568 लाख पशु राजस्थान में है। हालांकि 2017 के आंकड़ों से तुलना की जाए तो 1.66% पशुओं की राजस्थान में कमी हुईं।
पशु संपदा की दृष्टि से भारत का राजस्थान दूसरा सबसे बड़ा राज्य एवं देश का कुल पशुधन का 10.58% हिस्सा राजस्थान में है।
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राजस्थान में भैंसों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई लेकिन गधों की संख्या तेजी के साथ घट रही है। इसके अलावा देखा जाए तो भेड़ , बकरी , ऊंट , घोड़ों की भी संख्या में लगातार कमी दिख रही है।