कहते हैं कि जनता के रक्षक जनता द्वारा चुने जाने वाले प्रतिनिधि होते हैं। लेकिन देश की बड़ी संसद लोकसभा मैं भी अगर जीत कर जाने वाले जनप्रतिनिधि अपराधी ही हो तो देश का विकास कैसे संभव हो पाएगा?
भारत की लोकसभा में कुल 541 सांसद हैं। लेकिन इनमें से 233 सांसद तो अपराधी हैं।
233 सांसदों में से 159 सांसद संगीन अपराधी माने गए हैं।
यह सांसद केवल एक पार्टी के नहीं बल्कि अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के हैं। यानी कि सब राजनीतिक पार्टियों में अपराधियों की भरमार है।
इससे पहले 2014 के चुनाव में 186 सांसद अपराधी थे और उन में से 112 सांसद संगीन अपराधी थे। और इससे पहले 2009 की लोकसभा में भी 112 सांसद अपराधी थी, जिनमें से 76 सांसद संगीन अपराध थे। यानी यूं कहें कि भारत की राजनीति में अपराधियों की संख्या निरंतर बढ़ ही रही है, हम आपको पार्टी वार अपराधी सांसदों की संख्या बताएंगे लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें राजस्थान में मंत्रियों सहित 30 विधायक व 8 सांसदों पर विभिन्न आपराधिक मामलों में 57 मुकदमे चल रहे हैं। राजस्थान में जब 2019 में अशोक गहलोत की सरकार बनी तब करीब 15 मुकदमे वापस लिए गए।
अभियोजन निदेशालय की ओर से राजस्थान विधानसभा को दी गई जानकारी के अनुसार 2008 से 2015 तक विभिन्न नेताओं के 650 मुकदमे वापस लिए गए।
यानी यूं कहें कि देश की आजादी के बाद भी देश व प्रदेश में लगातार राजनीति के मंच पर दागियों की संख्या बढ़ती दिखाई दे रही है।
वर्तमान में लोकसभा में तीन बलात्कार (IPC धारा 376 )के अपराधी
देश में किस पार्टी के कितने सांसदों पर मुकदमे
भारतीय जनता पार्टी 116 (कुल 301)
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी 29 (कुल 51)
जेडीयू 13 ()
शिवसेना 11 (कुल सांसद 18)
डीएमके 10 (कुल 23)
वाईएसआरसीपी (कुल सांसद 10 )
टीएमसी 9 (कुल सांसद )
एलजेपी 6 (कुल सांसद 6)
बसपा 5 ( कुल सांसद 10)
अन्य 24
*यह आंकड़े चुनाव जीतने के तत्कालीन बाद के है।
इन सभी का मुख्य वजह यही है कि देश में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों पर कोई विशेष कानून नहीं है अतः अपराधी भी चुनाव लड़ते थे और कई जीत भी जाते हैं।