राजस्थान में 2023 में सत्ता प्राप्त करने के लिए नेताओं को अपनों से लड़ना जरूरी ?

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के दिसंबर में है , लेकिन करीब 2 साल पहले ही सभी नेताओं ने अपनी सीट बचाने के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन शुरू कर दिया है । राजस्थान की दोनों बड़ी पार्टियां कांग्रेस व भाजपा में फिलहाल ऐसा ही कुछ माहौल बना हुआ है , जहां एक तरफ कांग्रेस में अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच कोई खास नहीं बनती है , तो दूसरी तरफ वसुंधरा राजे भी राजस्थान के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया व राजेंद्र राठौड़ जैसे नेताओं से खफा है । 

वैसे अशोक गहलोत व सचिन पायलट दोनों नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जो आपसी मनमुटाव चल रहा है वह तो आप किसी से छुपा हुआ नहीं है , लेकिन मीडिया के सामने दोनों नेता 2023 में कांग्रेस को विजयी बता रहे हैं । तो दूसरी तरफ भाजपा के एक गुट का दावा है कि पंचायती राज चुनाव में वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के घर पर हुए पथराव के बाद वसुंधरा राजे को प्रदेश भाजपा के नेताओं से आलाकमान के सामने सवाल पूछने का मौका मिल गया है इस मौके को कभी भी छोड़ना नहीं चाहेगी ।

वैसे तो भाजपा के नेता भी खुद को 2023 के विधानसभा चुनाव में विजयी बता रहे हैं , लेकिन दोनों पार्टियों के नेता फिलहाल गुटबाजी करने में व्यस्त हैं। पार्टी के बड़े नेता अपने समर्थकों को इकट्ठा करने में जुटे हुए हैं ताकि पार्टी के आलाकमान के सामने अपना प्रदर्शन कर सकें।

राजस्थान में नेताओं की आपसी गुटबाजी के बाद भाजपा व कांग्रेस के आलाकमान को भी नेताओं को मनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है , क्योंकि सभी गुटबाजी करने वाले नेता राजस्थान में अपना अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। 

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अशोक गहलोत एवं सचिन पायलट दोनों में से किसी एक को सीएम पद के लिए चेहरा बनाना काफी मुश्किल होगा । तो इधर भाजपा में भी वसुंधरा राजे के सामने राजस्थान भाजपा का एक दल चुनौती पैदा कर सकता है।

सियासत के बीच सतीश पूनिया व गोविंद सिंह डोटासरा का वैलेंटाइन डे …..

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