द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध Second Anglo Mysore War
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द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध 1780 से 1782 तक हुआ, द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध अंग्रेजो एवं मैसूर के शासक हैदर अली के बीच हुआ था।
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध की शुरुआत 1780 में हैदर अली के कर्नाटक के अर्काट पर आक्रमण के साथ ही शुरुआत हो गई, इस युद्ध में हैदर अली की मराठा एवं निजाम ने साथ दिया एवं अंग्रेज कर्नल बेली को इस युद्ध में हरा दिया।
वहीं इसके बाद जब 1780 81 में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए संकटकालीन समय आ गया क्योंकि अमेरिकी उपनिवेश स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे एवं इधर भारत में भी मैसूर मराठा और निजाम तीनों अंग्रेजों के खिलाफ एक हो गए थे।
वहीं इसके बाद गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग में हैदर अली से लड़ने के लिए आयरकुट को भेजा एवं आयरकुट ने कूटनीति से निजाम और मैराथन के महादजी सिंधिया को युद्ध से अलग कर दिया। इसके बाद हैदर अली अकेला रह गया लेकिन हैदर अली के उत्साह में कोई कमी नहीं आई।
1781 में हैदर अली और अंग्रेजों के जनरल सर आयरकुट के बीच पोर्टोनोवा का युद्ध हुआ। इस युद्ध में हैदर अली की हार हुई एवं अंग्रेजों को भी इस युद्ध से कोई सफलता का लाभ नहीं हुआ।
इस हार के कुछ समय के बाद ही घायल होने के कारण हैदर अली की मृत्यु हो गई एवं हैदर अली की मृत्यु के बाद उसका पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर का अगला शासक बना।
हैदर अली की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान ने युद्ध जारी रखा, लेकिन कुछ समय के बाद 1784 में टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से मंगलौर की संधि कर दी।
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द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध के कारण
- प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध में संधि में कहा गया कि अंग्रेज और हैदर अली एक दूसरे की सहायता करेंगे, लेकिन अंग्रेजों ने मराठों के आक्रमण के समय हैदर अली की सहायता नहीं की थी।
- हैदर अली ने 1780 में कर्नाटक में अर्काट पर आक्रमण कर दिया क्यूंकि अंग्रेज़ इस पर अधिकार करना चाहते थे लेकिन हैदर अली जिसे अपना क्षेत्र मानता था, मुख्य कारण यही रहा था।