तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध Third Anglo Mysore War

News Bureau

तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध Third Anglo Mysore War 

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हैदर अली की मृत्यु के बाद मैसूर का नया शासक टीपू सुल्तान बना, टीपू सुल्तान दूसरे आंग्ल मैसूर युद्ध में हुई मंगलौर की संधि से संतुष्ट नहीं था। इसी वजह से टीपू सुल्तान ने फ्रांस एवं कुस्तुनतुनिया में अपने दूत भेज कर अंग्रेजों के विरुद्ध सहायता लेने की कोशिश की।

वही जब अंग्रेजों को इसकी भनक लगी तो अंग्रेजों ने युद्ध का कारण इसी आधार पर तय किया कि टीपू सुल्तान ने फ्रांसीसियों से अंग्रेजों के विरोध गुप्त समझौता किया है।

टीपू सुल्तान ने 1789 में त्रावणकोर पर हमला कर दिया, इस युद्ध में कार्नवालिस इसमें सेना का नेतृत्व करते हुए बेलूर और बेंगलुरु पर अधिकार कर श्री रंगपत्नम पर आक्रमण किया।

इसके बाद अंग्रेजों ने हैदराबाद के निजाम एवं मराठों के सहयोग से वापस श्रीरंगपट्टनम पर आक्रमण किया, 1792 में तत्कालीन गवर्नर जनरल कार्नवालिस ने श्रीरंगपट्टनम स्थित किले को घेरकर टीपू सुल्तान संधि करने के लिए मजबूर किया।

हमारे 1792 में अंग्रेजों एवं टीपू सुल्तान के बीच श्रीरंगपट्टनम की संधि हुई है एवं इस संधि के अनुसार टीपू सुल्तान को अपना आधा राज्य अंग्रेजों एवं उनके सहयोगियों को देना था एवं युद्ध के हर्जाने के रूप में अंग्रेजों ने तीन करोड रुपए मांगे , युद्ध का हर्जाना न देने तक अंग्रेजों ने टीपू के दो पुत्रों को बंधक बनाकर रखा था।

तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध में अंग्रेजों को बारामहल, मालाबार व डिंडीगुल मिला। मराठों को तुंगभद्र नदी के उत्तर का भाग, निजाम को पेन्नार तथा कृष्णा नदी के बीच का भाग मिला।

इस संधि के बाद कार्नवालिस ने कहा था कि हमने अपने मित्रों को शक्तिशाली बनाए बिना, अपने शत्रु को पंगु कर दिया।

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द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध कब कारण Second Anglo Mysore War

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News Reporter Team
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