पूनिया गोत्र का इतिहास Pooniya Jaat History
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जाट जाति के अंतर्गत आने वाली पूनिया गोत्र इतिहास की बात की जाए तो कहा जाता है पुरु वंशी राजा वीरभद्र हरिद्वार के निकट तलकापुर में शासन करता था , वीरभद्र के 5 पुत्र एवं दो पुत्र इनमें से एक पौनभद्र भी था ।
एवं पोनभद्र के नाम से पोनियां गोत्र की शुरुआत हुई यह गोत्र धीरे-धीरे हरियाणा , राजस्थान , उत्तर प्रदेश , पंजाब व वर्तमान पाकिस्तान तक फैलता गया।
लेखक ठाकुर देशराज लिखते हैं पोनियां सर्पो की एक नस्ल होती है एवं ऐसे में यह एक नागवंशी गोत्र हैं। इसी तरह अलग-अलग लेकर अलग-अलग उत्पत्ति की धारणाओं को बताते हैं लेकिन सबसे ज्यादा मान्यता है कि यह पोनभद्र शासक के वंशज हैं।
पूनिया गोत्र कि भंसाली की बात की जाए तो बीकानेर जिले में पूनिया गोत्र के कई गांव हैं , जिनमें से बाहड़ एक बड़ा गांव हैं।
वर्तमान में पूनिया गोत्र की निवास स्थलों की बात की जाए तो राजस्थान के जयपुर ,झुंझुनू , सीकर , बीकानेर , टोंक , सादुलपुर , गंगानगर , हनुमानगढ़ , बाड़मेर , जोधपुर , नागौर, पाली , जालौर , अजमेर , अलवर , बांसवाड़ा , चित्तौड़गढ़ , झालावाड़ , राजसमंद इत्यादि जगह निवास करते हैं।
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हरियाणा के अंबाला , हिसार , फतेहाबाद , करनाल , महेंद्र गढ़ व पलवल इत्यादि सेवा निवास करते हैं और इसके अलावा उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश । महाराष्ट्र व पंजाब के कई हिस्सों में यह गोत्र निवास करती है।
इसके अलावा पाकिस्तान में हिंदू एवं मुसलमान दोनों धर्मों के पूनिया गोत्र के लोग रहते हैं पाकिस्तान में पंजाब प्रांत में इस गोत्र के लोग निवास करते हैं।
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पूनिया गोत्र के प्रसिद्ध व्यक्तियों की बात की जाए तो जयनारायण पूनिया , विजय पूनिया , संदीप पूनिया , लक्ष्मण पूनिया , बजरंग पूनिया , कृष्णा पूनिया , कुंवर उदयसिंह पूनिया , कैप्टन सुभाष चंद पूनिया , श्री बृजेंद्र सिंह पूनिया, सतीश पूनिया सहित कई प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं।