अशोक गहलोत के 2 अक्टूबर के बयान के बाद राजस्थान की सियासत में नया मोड़ आने जा रहा है क्योंकि सचिन पायलट के सपने पर गहलोत फिर से पानी फेरने की कोशिश में है अशोक गहलोत ने कुछ अलग ही अंदाज में कहा कि 5 साल मुख्यमंत्री मैं ही रहूंगा और आगे भी अगली सरकार में मुख्यमंत्री में ही बनूंगा मुझे 20 साल तक कुछ भी नहीं होने वाला है।
और जाहिर है कि कांग्रेस आलाकमान कभी भी गहलोत के मन के विरुद्ध कोई भी फैसला नहीं लेगी क्योंकि कांग्रेस ने पंजाब में अमरिंदर सिंह के विरुद्ध जो फैसला लिया है उसे अमरिंदर सिंह ने पार्टी छोड़ दी है और कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा ।
और इसी को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान कभी भी राजस्थान में यह फैसला नहीं लेगी क्योंकि कांग्रेस सबसे मजबूत राजस्थान पंजाब और छत्तीसगढ़ में मानी जाती है मगर पंजाब और छत्तीसग़़ढ की कांग्रेस में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है और इधर राजस्थान में भी कांग्रेस के नेता सत्ता पलटने के इंतजार में बैठे हैं , देखना होगा कि आलाकमान सचिन पायलट को किस प्रकार मनाता है क्योंकि अगर सचिन पायलट भी कांग्रेस छोड़ते हैं तो इसका खामियाजा भी कांग्रेस को ही भुगतना पड़ेगा राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों का अपना अपना वर्चस्व है कांग्रेस आलाकमान के सामने यह चिंता का विषय है कि अगर अशोक गहलोत को मनाया जाता है तो सचिन पायलट नाराज हो जाते हैं और सचिन पायलट को मनाया जाता है तो अशोक गहलोत नाराज हो जाएंगे । अशोक गहलोत ने तो गांधी जयंती पर यह भी कहा कि मैं शांति धारीवाल को चौथी बार मंत्री बनाऊंगा , किसी को किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है जिस किसी को जो करना हो करे।
पंजाब कांग्रेस की राजनीति में सिद्धू व अमरेन्दर सिंह….?
अशोक गहलोत के स्पष्ट बयानों के बाद यही लगता है कि कांग्रेस आलाकमान बीच का रास्ता निकाल देती है तो यह राजस्थान कांग्रेस के लिए निश्चित ही अच्छी खबर होगी अन्यथा सचिन पायलट का सब्र भी कभी भी टूट सकता है।
कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के मामले पर अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं , क्या राजस्थान में अशोक गहलोत के विरुद्ध फैसला लेने से निश्चित ही डर है? और गहलोत किसी भी तरह से सचिन पायलट को नहीं चाहते हैं ।