राजस्थान के प्रजामंडल की स्थापना , संबंधित जानकारी एवं याद करने की ट्रिक
प्रजामंडल क्या है ?
रियासत द्वारा थोपे जा रहे कर एवं को कुशासन को समाप्त करके उसने व्याप्त बुराइयों को दूर करके रचनात्मक गतिविधियों को प्रारंभ करने का श्रेय प्रजामंडल को जाता है। कॉन्ग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन के बाद जवाहरलाल नेहरू जयप्रकाश नारायण एवं आचार्य नरेंद्र देव इत्यादि ने रियासतों के आंदोलन को सक्रिय सहयोग करना शुरू कर दिया था ।
राजस्थान की रियासतों में प्रजामंडल की स्थापनाओं का दौर 1938 में शुरू हुआ था , प्रजामंडल की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य था कि जनता पर हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए रियासती को शासन को समाप्त करना एवं रियासतों में फैली हुई बुराइयां एवं को प्रथाओं को भी समाप्त करना , हालांकि प्रजामंडल स्थापित करना इतना आसान नहीं था , लेकिन नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों को दिलाने के लिए एवं प्रजा मंडलों ने शिक्षा के प्रसार , सामाजिक सुधार एवं बेगार प्रथा के उन्मूलन के लिए कई प्रयास किए ।
राजस्थान में 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल , मारवाड़ लोक परिषद, जयपुर राज्य प्रजामंडल , अलवर प्रजामंडल प्रोगेसिव एसोसिएशन , भरतपुर प्रजामंडल , धौलपुर प्रजामंडल एवं शाहपुरा प्रजामंडल की स्थापना की गई।
वर्ष 1939 में राजस्थान की सिरोही प्रजामंडल की स्थापना की गई एवं कोटा प्रजामंडल , करौली प्रजामंडल , भरतपुर प्रजामंडल , जैसलमेर प्रजा परिषद एवं किशनगढ़ प्रजामंडल की स्थापना की गई।
वर्ष 1942 में बीकानेर राज्य प्रजा परिषद की स्थापना की गई , इसके बाद 1944 में बूंदी लोग परिषद एवं डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना की गई।
1945 में जैसलमेर प्रजामंडल एवं बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना की गई . वहीं प्रतापगढ़ स्टेट्स पीपुल्स कांफ्रेंस की स्थापना भी 1947 में की गई।
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वर्ष 1946 में झालावाड़ प्रजामंडल की स्थापित किया गया । वही इसके बाद 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिल गई एवं प्रजामंडल का दौर खत्म हो गया।
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