राजस्थान के लोक देवता गौ रक्षक वीर तेजाजी के बारे में हम आपको ऐसी किस्से बताने वाले हैं जो ज्यादातर लोगों को ध्यान नहीं है।
कौन है वीर तेजाजी
राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल के धोलिया जाट जाति में जन्मे एक लोक देवता है।, जिन्हें बहादुरी , गोरक्षा एवं वचनबद्धता के कारण पूजा जाता है।
आइए जानते हैं अनसुने किस्से
- 29 जनवरी 1074 को राजस्थान के नागौर में तेजाजी का जन्म हुआ था
- बताया जाता है कि तेजाजी की माता जी रामकुवांरी की 12 साल तक कोई संतान नहीं हुई इसके बाद तेजाजी के पिता ताहड जी ने अपने वंश को बढ़ावा देने के लिए दूसरी शादी कर दी , लेकिन इसके कुछ समय बाद रामकुवांरी के भी एक लड़का व एक लड़की का जन्म हुआ जिनका नाम क्रमशः तेजाजी व राजल था , एवं ताहड जी की दूसरी पत्नी के भी 5 लड़के हुए।
- सांप के ज़हर के तोड़ के रूप में गौ मूत्र और गोबर की राख के प्रयोग की शुरूआत सबसे पहले तेजाजी ने की थी ।
- अगर आप कभी राजस्थान गए हो तो आपने वाहनों के पीछे या आगे लीलण नाम का स्टीकर लगाया हुआ जरूर देखा होगा, लीलण तेजाजी की घोड़ी का नाम था ।
- वैसे तो तेजाजी को राजस्थान ,हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के लोक देवता के रूप में पूजते है एवं तेजाजी को ज्यादातर किसान पूजते हैं , वहीं किसान फसल बोने से पहले भी तेजा जी की पूजा अर्चना करते हैं।
- कहा जाता है कि अजमेर के प्रत्येक गांव में तेजाजी का मंदिर है।
- तेजाजी पर 2011 में पांच रूपये की डाक-टिकट जारी की गई ।
- तेजाजी को जाट जाति में अधिक लोकप्रिय माना जाता है, इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि ज्यादातर जाट जाति के लोग किसान ही है।
- तेजाजी को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है।
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